यह तैत्तिरीयोपनिषत् का वचन है।

ऋतं च स्वाध्यायप्रवचने च।
सत्यं च स्वाध्यायप्रवचने च।
तपश्च स्वाध्यायप्रवचने च।

(ऋतं०) यथार्थ आचरण से पढ़ें और पढ़ावें, (सत्यं०) सत्याचार से सत्यविद्याओं को पढ़ें वा पढ़ावें. (तपः०) तपस्वी अर्थात् धर्मानुष्ठान करते हुए वेदादि शास्त्रों को पढ़ें और पढ़ावें

ऋग्वेद

योग दर्शन

यजुर्वेद

वैशेषिक/सांख्य दर्शन

अथर्ववेद

न्याय दर्शन

सामवेद

मीमांसा/वेदांत दर्शन

महर्षि दयानन्द विद्यापीठगुरुकुल के बारे में

गुरुकुल शिक्षा का प्राचीन केंद्र है, जहाँ छात्र अपने गुरु के घर रहकर उनसे ज्ञान प्राप्त करते है। गुरुकुल शब्द 'गुरु' और 'कुल' से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है 'गुरु का परिवार'। गुरुकुलों में छात्रों को वेद, शास्त्र, दर्शन, कला, और अन्य विषयों का ज्ञान दिया जाता है। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य छात्रों को केवल ज्ञानवान बनाना ही नहीं है, बल्कि उन्हें चरित्रवान और आत्मनिर्भर भी बनाना है।

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की विशेषताएं:

गुरु-शिष्य परंपरा

गुरुकुलों में शिक्षा गुरु-शिष्य परंपरा के माध्यम से दी जाती थी। गुरु छात्रों के लिए पिता समान होते थे और छात्र गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव रखते थे।

आत्मनिर्भरता

गुरुकुलों में छात्रों को अपने दैनिक कार्यों को स्वयं करने के लिए प्रेरित किया जाता था। वे स्वयं खाना बनाते थे, कपड़े धोते थे और घर की अन्य गतिविधियों में भी भाग लेते थे।

शारीरिक और मानसिक विकास

गुरुकुलों में छात्रों को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने पर भी ध्यान दिया जाता था। उन्हें योग, व्यायाम, और खेलकूद के लिए प्रोत्साहित किया जाता था।

📜मनुस्मृति📜 का वचन है!
सर्वेषामेव दनानां ब्रह्मदानं विशिष्यते

अर्थात: दानों में (वेद)विद्यादान सर्वोत्तम है

विद्यार्थियों का भविष्य

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल ऋषि दयानंद सरस्वती के मार्गदर्शन में स्थापित एक ऐसा संस्थान है जो छात्रों को वैदिक ज्ञान और आधुनिक शिक्षा का मिश्रण प्रदान करता है। गुरुकुल में छात्रों को वेद, शास्त्र, दर्शन, कला, गणित, विज्ञान, और अंग्रेजी सहित विभिन्न विषयों का अध्ययन करने का अवसर मिलता है। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य छात्रों को केवल ज्ञानवान बनाना ही नहीं, बल्कि उन्हें चरित्रवान, आत्मनिर्भर, और देशभक्त भी बनाना है।

उपमा : समानता में सौंदर्य

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करना सूर्योदय के समान है। जिस प्रकार सूर्योदय अंधकार को दूर कर प्रकाश फैलाता है, उसी प्रकार MDVT गुरुकुल अज्ञानता के अंधकार को दूर कर ज्ञान का प्रकाश फैलाता है।

रूपक : अभेदीकरण

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल ज्ञान का वृक्ष है, जिसकी जड़ें वेद हैं, तना संस्कृत है, और शाखाएं शास्त्र हैं। इस वृक्ष के फल स्वरूप छात्र सफल और विद्वान बनते हैं।

उत्प्रेक्षा : आरोप

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल एक जहाज के समान है, जो छात्रों को भवसागर से पार लगाकर सफलता के द्वीप तक पहुंचाता है। गुरु इसमें कुशल कप्तान की भूमिका निभाते हैं।

यमक : शब्द चमत्कार

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल में छात्र - संस्कार ( संस्कार - संस्कृत का शुद्ध ज्ञान) प्राप्त करते हैं। अर्थात, संस्कृत भाषा का ज्ञान और जीवन में अपनाने योग्य संस्कार दोनों ही प्राप्त होते हैं।

अनुप्रास : वर्णों की आवृत्ति

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल में परिश्रम (परिश्रम - निरंतर अभ्यास) से सफलता (सफलता - जीवन में लक्ष्य की प्राप्ति) का मार्ग प्रशस्त होता है।

स्वभावोक्ति : स्वाभाविक वर्णन

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल में कोयल पंछी की तरह मीठा स्वर - वेद मंत्रों का उच्चारण सीखते हैं। वातावरण शांत और पवित्र है, जो ध्यान और अध्ययन के लिए सर्वोत्तम है।

गुरुकुल उपलब्धियाँ

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल में छात्रों को वेद, शास्त्र, संस्कृत, गणित, विज्ञान, और अंग्रेजी सहित विभिन्न विषयों का ज्ञान दिया जाता है। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र विभिन्न प्रतियोगिताओं में सफलता प्राप्त करते हैं।

वेद विद्या परीक्षा में 100% छात्र उत्तीर्ण

गुरुकुल के छात्र वेद विद्या परीक्षा में लगातार 100% उत्तीर्ण होते हैं।

राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में छात्र की सफलता

गुरुकुल के छात्र ने राष्ट्रीय स्तर की वेद मंत्रोच्चारण प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया।

विदेशी छात्रों का आगमन

गुरुकुल शिक्षा और संस्कार के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य कर रहा है। यहाँ से शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं।

दैनिक गूगल मीट ऑनलाइन व्याख्यान (कोई भी उम्र)

महर्षि दयानन्द विद्यापीठ गुरुकुल द्वारा प्रतिदिन गूगल मीट के माध्यम से ऑनलाइन व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं। इन व्याख्यानों में वेद, शास्त्र, संस्कृत, गणित, विज्ञान, और अंग्रेजी सहित विभिन्न विषयों पर जानकारी दी जाती है। इन व्याख्यानों में किसी भी उम्र के व्यक्ति भाग ले सकते हैं।